मत करो उपहास
विकलांगों का मत करो उपहास भाई ।अपेक्षित बल – शक्ति है उनमें समायी।दे सको तो उन्हें आदर – भाव देना,अपमान
Read Moreविकलांगों का मत करो उपहास भाई ।अपेक्षित बल – शक्ति है उनमें समायी।दे सको तो उन्हें आदर – भाव देना,अपमान
Read Moreनवसंवत नववर्ष मनाएँ ।हिन्दु संस्कृति के गुण गाएँ। करें विगत की सहज समीक्षाआगत की हो सफल परीक्षावर्तमान का दमके भास्वरमंगलमय
Read Moreप्रकृति ने हमें पूरे वर्ष में छह सुखद ऋतुओं का उपहार दिया है। प्रत्येक ऋतु की अपनी विशेषता और महत्ता
Read Moreतेरह या चौदह जनवरी कोसूर्य उत्तरायण हो जाता।भारतीय संस्कृति में यह दिनपर्व ‘मकर संक्रांति’ कहाता। इसको ‘खिचड़ी पर्व’ भी कहतेखिचड़ी
Read Moreतुम होते हो पास,प्रेम की सरिता बहती है।मन – दर्पण में,वासंती छवि कविता कहती है। अमरबेल की भाँतिलिपट जाते हो
Read Moreजैवविविधता प्रकृति में, जीवन का आधार।सकल सृष्टि का मानते, जीव – जन्तु आभार । जैवविविधता क्षरण से, सारा जग है
Read Moreअद्भुत चलन संस्सार काजीता न कोई होड़कर।कुछ भी न जीवन में बचादेखा घटाकर – जोड़कर। यादें पिघल, झरने बहेकटु शब्द
Read Moreस्वामी विवेकानंद (12 जनवरी 1883-4 जुलाई 1902)अपने समकालीन भारत के सबसे प्रभावशाली दार्शनिकों और समाज – सुधारकों में से एक
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