मधु स्वप्न
अद्भुत चलन संस्सार काजीता न कोई होड़कर।कुछ भी न जीवन में बचादेखा घटाकर – जोड़कर। यादें पिघल, झरने बहेकटु शब्द
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Read Moreस्वामी विवेकानंद (12 जनवरी 1883-4 जुलाई 1902)अपने समकालीन भारत के सबसे प्रभावशाली दार्शनिकों और समाज – सुधारकों में से एक
Read Moreमेरा गाँव भी अब शहर हो गया है।प्रकृति से बहुत दूर घर हो गया है। बचपन में खेला, वह पीपल
Read Moreकरें उजाला दीप जलाकरतम को दूर भगाएं।दीपावली है पर्व प्रेम कामिलजुल इसे मनाएं। झूठ – कपट को मन से त्यागेंसमरसता
Read More1 सूरज का है अंश कहाता।जलकर है अँधियार मिटाता।मिट्टी से वह बना हुआ हैरखता बाती – तेल से नाता। 2
Read Moreहर घर फहरे ध्वजा तिरंगा।नभ में लहरे ध्वजा तिरंगा। त्याग – समर्पण भाव हो जागृतदेशभक्ति का पी लें अमृत भारत
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