मेरी कहानी – 50
कैंप से वापस आ कर हम ने फिर से स्कूल जाना शुरू कर दिया। फगवारे जाना हमें बहुत अच्छा लगता
Read Moreकैंप से वापस आ कर हम ने फिर से स्कूल जाना शुरू कर दिया। फगवारे जाना हमें बहुत अच्छा लगता
Read Moreकुछ ही दिनों में कैंप में हम ऐसे रहने लगे थे जैसे बहुत देर से यहां रह रहे हों। राकेश
Read Moreनौवीं की परीक्षा के बाद कुछ महीने गाँव में गुज़ार कर हम फिर से स्कूल जाने लगे क्योंकि स्कूल खुल गए
Read Moreयह चोरी की घटना से हम कुछ डर गए थे क्योंकि उस कुल्हाड़ी से अगर किसी की टांग काट जाती
Read Moreफगवारे आ कर हम कुछ आज़ाद से महसूस करने लगे थे। ऐसा तो नहीं था कि हमें घर में कोई
Read Moreस्कूल में तो अब बहुत दोस्त बन गए थे। स्कूल से वापिस गाँव में आ कर भी कुछ घर का
Read Moreअब हम शहर की ज़िंदगी में अच्छी तरह घुल मिल गए थे। जो एक झिजक थी वोह कब की दूर
Read Moreरामगढ़िआ इंस्टिट्यूटस के बारे में कुछ लिखना चाहूंगा। जिस महान शख्सियत ने यह सब स्कूल कालज बनाये उस का नाम
Read Moreमास्टर विद्या प्रकाश और मूलराज के बाद पंजाबी के टीचर आनंदपाल सिंह होते थे, बहुत हंसमुख, बूटिओं वाली पगड़ी और कोट
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