हमीद के दोहे
शब्दों की कुछ भी समझ,तब तक बिल्कुल व्यर्थ। जब तक ज़हन चढ़ें नहीं , उन शब्दों के अर्थ। जहाँ तक
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Read Moreतन मन सारा शुद्ध कर, करता रोज़ निरोग। सेहत की चाहत अगर, नियमित करिये योग। योग शुरू यदि कर दिया,अब
Read Moreरब की नज़रों में वही,बन्दा होता खास। मातपिता को जो रखे,दिलके अपने पास। सारे अच्छे लोग जब, हो जायेंगे मौन।
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