ग़ज़ल
अभी मर्ज़ की कुछ दवाई नहीं है। कहीं भी यूँ लाजिम ढिलाई नहीं है। मुखालिफ़ वही हैं नई योजना के,
Read Moreअब मत हरगिज़ ढूढिये, पहले वाली बात। चाल चलन बदले सभी,बदल गये हालात। ख़ुद्दारी को भूलकर , करते हैं फरियाद।
Read Moreअटल हमारे अटल तुम्हारे। नहीं रहे अब बीच हमारे। जन जन के थे राज दुलारे। अटल हमारे अटल तुम्हारे। बेबाक
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