गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 09/12/2020 ग़ज़ल हाल दिल का सभी को सुनाते रहे। गीत ग़ज़लें सदा गुनगुनाते रहे। ग़म सभी हम हवा में उड़ाते रहे। रोज़ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 08/12/2020 ग़ज़ल सनम का घर में आना हो गया है। कि मौसम अब सुहाना हो गया है। सियासत का निशाना हो गया Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 04/12/2020 ग़ज़ल एक ग़म कब तलक उठाएं हम। रोज़ करते नहीं ख़ताएं हम। रूठने का नहीं सबब जब कुछ, बेसबब क्यूँ उसे Read More
राजनीति *हमीद कानपुरी 04/12/2020 अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस (3 दिसम्बर) हमारे समाज में दिव्यांगों को हमेशा दयनीय दृष्टि से देखा जाता रहा है। दिव्यांगों ने अनेक क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 02/12/2020 ग़ज़ल समझता हूँ कि दाना हो गया है। ज़रा सा जो दिवाना हो गया है। शिकायत का बहाना हो गया है। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 25/11/2020 ग़ज़ल बेतरह आज यूँ मुस्कुराने लगे। जो मिले ग़म हवा में उड़ानें लगे। हाथ मेरा पकड़ जो चले कल तलक, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 21/11/2020 ग़ज़ल मर्ज़ हरगिज़ दया नहीं करता। वक़्त पर जो दवा नहीं करता। जग से डरता नहीं कभी यूँ मैं, काम कोई Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 19/11/2020 ग़ज़ल हर तरह दिल को मानना होगा। यार का जो भी फैसला होगा। वो घड़ी खास हो गयी होगी, दीप जब Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 12/11/2020 ग़ज़ल मसअले को सहल किया मैंने। एक रद्दो बदल किया मैंने। हर जगह पर सफल किया मैंने। टीम को जब चपल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 05/11/202009/11/2020 ग़ज़ल जिसमें शामिल मेरा नबी ही नहीं, फिरतो महफ़िल समझ सजी ही नहीं। इक खुदा छोड़ दर ब दर भटका, बात Read More