गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 22/05/2020 ग़ज़ल साथ होती हर इक खुशी अपनी। सोचते गर भली बुरी अपनी। हाँकते सब बड़ी बड़ी अपनी। कोई कहता नहीं कमी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 20/05/2020 ग़ज़ल लोग पागल थे जिनकी अदा देख कर। घर के अन्दर छुपे वो वबा देख कर। अनमना कल हुआ अनमना देख Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 17/05/2020 ग़ज़ल एक धब्बा है बदनुमा जाने। एक रत्ती न जो वफा जाने। उसका अगला क्दम नहीं मालूम, ये वो जाने है Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 16/05/2020 ग़ज़ल जाति मज़हब देखकर पागल रहे। सद्गुणों के जो नहीं कायल रहे। जो हमें भूला रहा हर दौर में, हम उसी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 15/05/2020 ग़ज़ल कर शरारत मुस्कुराएगा कभी। अश्क बनकर झिलमिलाएगा कभी। पास आकर दूर जाएगा। कभी। ख्वाब में आकर सताएगा कभी। दूर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 12/05/2020 ग़ज़ल वक्त का है ये तकाज़ा साथ आना चाहिए। एकजुट हो देश को बेहतर बनाना चाहिए। बेसबब हरगिज़ नहीं उसको छुपाना Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 12/05/2020 ग़ज़ल वही ज़िन्दगी में सफल मीत मेरे। सही सोच जिसकी अटल मीत मेरे। चलो चल के आते टहल मीत मेरे। हुआ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 11/05/2020 राह में जो गिरा है उठाते चलो ख़ूं से अपने वतन को सजाते चलो। ख़ूबसूरत इसे तुम बनाते चलो। ग़म जहाँ हो खुशी तुम लुटाते चलो। जश्न Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 08/05/2020 ग़ज़ल वो कभी मार से नहीं होता। काम जो प्यार से नहीं होता। आज तकनीक़ का ज़माना है, वार तलवार से Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 06/05/2020 ग़ज़ल चार सू महफ़िल सजाते जायेंगे। गीत ग़ज़लें गुनगुनाते जायेंगे। साथ सबको अपने ले के जायेंगे। दर सभी का खट Read More