गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 02/06/2020 ग़ज़ल दिलों को मिलायें यही चाहते हैं। वतन को सजायें यही चाहते हैं। न सच को छुपायें यही चाहते हैं। हक़ीक़त Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 02/06/2020 ग़ज़ल हौसला हो जो हक़बयानी का। बाब उलटो तभी कहानी का। मेरी अपनी नहीं कोई हस्ती, हूँ महज़ पात्र ही कहानी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 01/06/2020 मौत का है पयाम तम्बाकू अन्तर्राष्ट्रीय तम्बाकू निषेध दिवस (31 मई) पर मौत का है पयाम तम्बाकू। खा रहे जन तमाम तम्बाकू। माल सेहत खराब Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 30/05/2020 ग़ज़ल बर्क़ रफ्तार से फिर तुम भी सुधर जाओगे। साथ जब नेक मिलेगा तो संवर जाओगे। सरकशी पर है उतारू यहाँ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 22/05/2020 ग़ज़ल तुम्हारे बिन परेशानी बहुत है। तुम्हारे साथ आसानी बहुत है। हमें मतलब नहीं कुछ सैकड़ों से, खुदा की एक यज़दानी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 22/05/2020 ग़ज़ल साथ होती हर इक खुशी अपनी। सोचते गर भली बुरी अपनी। हाँकते सब बड़ी बड़ी अपनी। कोई कहता नहीं कमी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 20/05/2020 ग़ज़ल लोग पागल थे जिनकी अदा देख कर। घर के अन्दर छुपे वो वबा देख कर। अनमना कल हुआ अनमना देख Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 17/05/2020 ग़ज़ल एक धब्बा है बदनुमा जाने। एक रत्ती न जो वफा जाने। उसका अगला क्दम नहीं मालूम, ये वो जाने है Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 16/05/2020 ग़ज़ल जाति मज़हब देखकर पागल रहे। सद्गुणों के जो नहीं कायल रहे। जो हमें भूला रहा हर दौर में, हम उसी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 15/05/2020 ग़ज़ल कर शरारत मुस्कुराएगा कभी। अश्क बनकर झिलमिलाएगा कभी। पास आकर दूर जाएगा। कभी। ख्वाब में आकर सताएगा कभी। दूर Read More