गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 01/05/2020 ग़ज़ल काँटों से जतन करके दामन को बचाना है। फूलों से अगर तुमको घर बार सजाना है। इक दीप बना खुद Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 23/04/2020 ग़ज़ल मुझको जो करना है करता रहता हूँ। झेल झमेले सारे चलता रहता हूँ। अपनी नज़रों में बस अच्छा रहता हूँ। Read More
लघुकथा *हमीद कानपुरी 23/04/2020 लघु कथा : लाॅक डाउन और दही पप्पू के घर में कई दिनों से सबह शाम दाल और सब्ज़ी ही बन रही थी।आज सबका कढ़ी खाने का Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 22/04/2020 ग़ज़ल करोना के कई मुजरिम ये सच जब जान लेते हैं। किसी इक धर्म पर ही क्यूँ निशाना तान लेते हैं। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 21/04/2020 ग़ज़ल पांव चुभेंगे उनके नश्तर। ठीक न होगा जिनका रहबर। हाल कहें हम किससे जाकर। हालत सबकी दिखती बदतर। खोता रहता Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 20/04/2020 ग़ज़ल अब रौशनी को और सताया न जायेगा। जलता हुआ चराग बुझाया न जायेगा। मग़रूर अब किसी को बनाया न जायेगा। Read More
मुक्तक/दोहा *हमीद कानपुरी 18/04/2020 मुक्तक तिरंगा फर फर फहरा खूब तिरंगा। जन जन का महबूब तिरंगा। इसकी अज़मत सबसे आला, भारत का मतलूब तिरंगा। क़ातिल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 14/04/2020 गज़ल करोना को घर अपने बुलवा रहे हो। बराबर जो बाहर से आ जा रहे हो। हक़ीक़त बताने से कतरा रहे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 14/04/2020 ग़ज़ल गर वबा से बचाव करना है। ठीक से रख रखाव करना है। सोचकर खूब पग बढ़ाना अब, ख़त्म सारा दबाव Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 11/04/2020 ग़ज़ल अमीरों का माना कि उसपर असर है। ग़रीबों प लेकिन बराबर नज़र है। अमीरों ग़रीबों सभी की ख़बर है। Read More