ग़ज़ल
हर कोई सिर्फ रौशनी से मिले। भूल कर भी न तीरगी से मिले। सादगी से उन्हें बड़ी उल्फत, जब मिले
Read Moreसफल नहीं होगा यहाँ, अब कोई षडयंत्र। धीरे धीरे हो गया , समझ दार गणतंत्र। जिनके दिल में है नहीं,ज़र्रा
Read Moreआपस में लड़िये नहीं, नई रोज़ इक जंग। जीवन को करिये नहीं, तरह तरह से तंग। पद की खातिर हो
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