ग़ज़ल
रब से ये बेह तरीन उल्फत है। ख़िदमते ख़ल्क़ इक इबादत है। हर तरफ दिख रही बगावत है। किस तरह
Read Moreसफल नहीं होगा यहाँ, अब कोई षडयंत्र। धीरे धीरे हो गया , समझ दार गणतंत्र। जिनके दिल में है नहीं,ज़र्रा
Read Moreआपस में लड़िये नहीं, नई रोज़ इक जंग। जीवन को करिये नहीं, तरह तरह से तंग। पद की खातिर हो
Read Moreअवसर खोता है अगर , रहता है नाकाम। चाहे जितना हो प्रखर , पड़ा रहे गुमनाम। सत्य अहिंसा पर टिके
Read Moreअटल हमारे अटल तुम्हारे। नहीं रहे अब बीच हमारे। जन जन के थे राज दुलारे। अटल हमारे अटल तुम्हारे। बेबाक
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