हमीद के दोहे
अवसर खोता है अगर , रहता है नाकाम। चाहे जितना हो प्रखर , पड़ा रहे गुमनाम। सत्य अहिंसा पर टिके
Read Moreअवसर खोता है अगर , रहता है नाकाम। चाहे जितना हो प्रखर , पड़ा रहे गुमनाम। सत्य अहिंसा पर टिके
Read Moreअटल हमारे अटल तुम्हारे। नहीं रहे अब बीच हमारे। जन जन के थे राज दुलारे। अटल हमारे अटल तुम्हारे। बेबाक
Read Moreलफ़्फ़ाज़ों के हम नहीं, बन सकते हमराज़। करना होगा अब हमें , एक नया आग़ाज़। गाता अपना गीत हूँ ,
Read Moreबदअमनी का हर तरफ,लगा हुआ अम्बार। घोड़े अपने बेच कर , सोता चौकी दार। समझाये कोई मुझे , मँहगाई का
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