गजल
सामने जो कयाम हो जाता। नज़रों नज़रों सलाम हो जाता। जाम का इंतिजाम हो जाता। जश्न का एहतिमाम हो जाता।
Read Moreबाल न बांका हो कभी, टूटे ज़रा न आस। पालन हारे पर रखे , मानव जो विश्वास। झेलेंगे हमले नये
Read Moreलफ्फाज़ी होती रही , हुई तरक़्क़ी सर्द। समझ नहीं ये पा रहे , सत्ता के हमदर्द। अबलाओं पर ज़ुल्म कर,
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