ग़ज़ल
ईद होली न कोई दिवाली रही। बाद तेरे हर इक रात काली रही। ज़िन्दगी इस तरह कुछ निराली रही। ख़ुश
Read Moreलफ़्फ़ाज़ों के हम नहीं, बन सकते हमराज़। करना होगा अब हमें , एक नया आग़ाज़। गाता अपना गीत हूँ ,
Read Moreबदअमनी का हर तरफ,लगा हुआ अम्बार। घोड़े अपने बेच कर , सोता चौकी दार। समझाये कोई मुझे , मँहगाई का
Read Moreबाल न बांका हो कभी, टूटे ज़रा न आस। पालन हारे पर रखे , मानव जो विश्वास। झेलेंगे हमले नये
Read More