ग़ज़ल
इस वक्त रचें आओ कोई मिल के कहानी। आकाश में बादल हैं बड़ी ऋतु है सुहानी। महफ़िल है सजी शेरो
Read Moreआज़ादी का अपहरण , करे जहाँ सरकार। तर्क बगावत का वहाँ , पाता है आधार। ज़र के भूखे भेड़िए ,
Read Moreआत्म प्रसंशा से नहीं, बनती है पहचान। सब करते तारीफ जब,तब मिलता सम्मान। पुख्ता होती है तभी, रिश्तों की बुनियाद।
Read Moreनहीं मिल सका आम जनता को कुछभी, हमें बस सुनाये बजट के बतोले। किया तेल महँगा भरी ज़ेब अपनी,
Read Moreहार नहीं सकते कभी , मन में ले विश्वास। जीत नहीं सकते कभी,शंका के बन दास। नागिन सी डसती रही,उसको
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