ग़ज़ल
बताती बैर जो करना,भला कैसी सियासत है। सिखाती रोज़ जो लड़ना,भला कैसी सियासत है। ग़रीबों के मसीहा हैं , मगर
Read Moreशब्दों की कुछ भी समझ,तब तक बिल्कुल व्यर्थ। जब तक ज़हन चढ़ें नहीं , उन शब्दों के अर्थ। जहाँ तक
Read Moreतन मन सारा शुद्ध कर, करता रोज़ निरोग। सेहत की चाहत अगर, नियमित करिये योग। योग शुरू यदि कर दिया,अब
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