गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 01/10/2021 ग़ज़ल याद के संग नई रोज़ सज़ा देते हैं। नींद से आ के मुझे रोज़ जगा देते हैं। देश की राह Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 26/09/2021 ग़ज़ल सनम आ जब से शामिल हो गयी है। बड़ी अच्छी ये महफ़िल हो गयी है। अभी तक है वबा का Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 25/08/2021 ग़ज़ल बताती बैर जो करना,भला कैसी सियासत है। सिखाती रोज़ जो लड़ना,भला कैसी सियासत है। ग़रीबों के मसीहा हैं , मगर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 21/08/2021 ग़ज़ल अच्छे अगर हैं हाल तो फिर क्या चलो चलें। अच्छा बहुत है साल तो फिर क्या चलो चलें। खुशहाली चाहते Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 16/08/2021 ग़ज़ल दर्द जलने का जानता ही नहीं। हाथ जिसका कभी जला ही नहीं। क्यूँ न पूरा करे सफ़र तन्हा, साथ जिसको Read More
मुक्तक/दोहा *हमीद कानपुरी 07/08/2021 हमीद के दोहे शब्दों की कुछ भी समझ,तब तक बिल्कुल व्यर्थ। जब तक ज़हन चढ़ें नहीं , उन शब्दों के अर्थ। जहाँ तक Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 05/08/2021 ग़ज़ल आज फिर से जि़न्दगी अच्छी लगी। यार की यारी मिली अच्छी लगी। बाद मुद्दत है मिली अच्छी लगी। आज मुझको Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 26/07/2021 ग़ज़ल कहता यूँ हूँ ख़ास बड़ा है। दिल के मेरे पास बड़ा है। जुमलों को भी सच माने वो, सत्ता का Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 21/07/2021 ग़ज़ल शब अँधेरी की अब सहर भी हो। उनको मेरी ज़रा ख़बर भी हो। रोज़ बनवाइये महल ऊँचे, बीच उनके मगर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 20/07/2021 ग़ज़ल सब जो ईमानदार हो जाते। सब के सब शानदार हो जाते। सचको सच ही अगर कहा होता, आदमी बा वक़ार Read More