पहला ख़त …
क्या ऐसी ही होती है मुहब्बत … ? ख्याल कागज़ पर लिखने लगते हैं नाम रंग आखों में उतर आता
Read Moreचलो आज लिख देते हैंसिलसिलेवार दास्तानतमाम उम्र के मुर्दा शब्दों कीजहां मुहब्बतों के कितने ही फूलख़ुदकुशी कर सोये पड़े हैंकब्रों
Read Moreहर किसी को यही लगा था कि कहानी खत्म हो गई और किस्सा खत्म हो गया …… पर कहानी खत्म
Read Moreजिस दिन मैंने नज़्म को जन्म दिया था वो अपंग नहीं थी न ही आसमान में कुचले हुए उसके मासूम
Read Moreआँखों की भाषा …. तुमने कभी पढ़ा ही नहीं मेरे अनकहे शब्दों में छिपा प्रेम पता नहीं कसूर मेरी आँखों
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