ग़ज़ल
आ इधर आ मुझे थोड़ा और निख़ार दे,किसी ने भी किसी से किया न हो इतना प्यार दे। आ भर
Read Moreसम्मान तुम्हारा तब तक रहेगा,जब तक स्वाभिमान न डिगेगा।यदि ठेस पहुंची मेरे मान को,फिर नमन नहीं अपमान मिलेगा। झुकना विनम्रता
Read Moreमुसीबत में_ कोई नहींसीता के रखवाले राम थे;जब हरण हुआ तब कोई नहींद्रौपदी के पाँच पाण्डव थे;जब चीर हरा तब
Read Moreतुम्हारे नाम ये आखिरी खत,लिख रहा हूँ दिल की स्याही में डूबो कर,शब्द कांप रहे हैं कागज़ पर,पर जज़्बात बहते
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