गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 09/12/2020 ग़ज़ल रब की ये मंज़ूरी भी हो सकती है। आधी हसरत पूरी भी हो सकती हैं, पहले व्यर्थ समझ छोड़ा हमने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 22/11/202026/11/2020 ग़ज़ल झोपड़ी हो या महल, घर, एक जैसे हो गए, घास की छत, संगमरमर, एक जैसे हो गए। बात मतलब की Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 25/10/2020 ग़ज़ल दिन की है कभी और है कभी रात की चिंता, इस बात को छोड़ा तो है उस बात की चिंता। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 21/09/2020 ग़ज़ल खुशनुमा जिंदगी नहीं आती, ग़र तेरी दोस्ती नहीं आती। गीत लिखता हूं शेर कहता हूं, मत कहो शायरी नहीं आती। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 11/09/2020 ग़ज़ल जश्न सारा का सारा हुआ आपका, हर हमारा सहारा हुआ आपका। डूबने को मेरे कितने मझधार हैं, तैरता हर किनारा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 27/08/2020 ग़ज़ल बह रहा है सराब से पानी, खुद के अपने हिसाब से पानी। आँख सूखी है इन दिनों लेकिन, गिर रहा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 14/07/202024/07/2020 ग़ज़ल कुछ ज़मीं, कुछ आस्मांँ दोनों तरफ़, बंट गया है ये जहांँ दोनों तरफ़। झूठ, सच दोनों से अपना राब्ता, फंस Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 23/06/202028/06/2020 ग़ज़ल हाथ अपने उठा के बैठा हूं, रब से अर्जी लगा के बैठा हूं। नींद उनको कहीं न लग जाए, ख़्वाब Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 20/06/202027/06/2020 ग़ज़ल इश्क से बढ़कर ज़माने में दुआ कुछ भी नहीं। इश्क़ मज़हब,इश्क़ ही रब, है खुदा कुछ भी नहीं। रोज़ ख़्वाबों Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 14/05/2020 ग़ज़ल ले कितनी दूर जाओगे अब तिश्नगी रख दो, अपने से थोड़ी दूर अपनी बेबसी रख दो। जीने के लिए सांसों Read More