गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 23/06/202028/06/2020 ग़ज़ल हाथ अपने उठा के बैठा हूं, रब से अर्जी लगा के बैठा हूं। नींद उनको कहीं न लग जाए, ख़्वाब Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 20/06/202027/06/2020 ग़ज़ल इश्क से बढ़कर ज़माने में दुआ कुछ भी नहीं। इश्क़ मज़हब,इश्क़ ही रब, है खुदा कुछ भी नहीं। रोज़ ख़्वाबों Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 14/05/2020 ग़ज़ल ले कितनी दूर जाओगे अब तिश्नगी रख दो, अपने से थोड़ी दूर अपनी बेबसी रख दो। जीने के लिए सांसों Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 23/03/2020 ग़ज़ल क्या नयी है, क्या पुरानी आखिरी है, ये तेरा किस्सा, कहानी आखिरी है। जान जिसने दी वतन के वास्ते, अब Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 24/02/2020 ग़ज़ल बेसबब दीपक जलाया धूप में, और सितारों को बुलाया धूप में। दिन उजाले छोड़कर सोता रहा, रात आई और जगाया Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 15/01/2020 ग़ज़ल कागज़, कलम, सियाही है, रचना की अगुआई है। वो जो हवा में उड़ता है, जुमला सिर्फ हवाई है। बहुत खुशी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 15/01/2020 ग़ज़ल सामने आके मेरे खड़ा है तो क्या, एक बेकार ज़िद पे अडा है तो क्या। देखलो मुझको मैं भी हूं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 29/12/2019 ग़ज़ल यूं चारों सिम्त नफरत हो गई है, मुहब्बत की ज़रूरत हो गई है। कभी जो दोस्त थे उनसे मुझे अब, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 27/11/2019 ग़ज़ल रोज़ मेरे सपनों में आया करता है, नींदों में वो घर बनाया करता है। ये कैसी फितरत है उसकी पूछो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 17/11/2019 ग़ज़ल कभी अपने लिए कुछ शौक पाल जीना था, मौत का ज़िंदगी से डर निकाल जीना था। क्यूं अपने मन को Read More