गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 28/08/2019 ग़ज़ल बीते दिन को याद करता हूं सिहर जाता हूं मैं, कुछ कदम चलता हूं जाने क्यूं ठहर जाता हूं मैं। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 28/08/2019 ग़ज़ल इश्क़ में और आशिकी में हम, गुम हैं अपनी ही शायरी में हम। एक तारीख जैसे लिख्खें हैं, खुद हमारी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 18/07/201916/09/2019 ग़ज़ल पार दरिया के मेरा है घर मगर सबसे अलग, हर घड़ी तूफान का रहता है डर सबसे अलग। झूठ, मक्कारी, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 15/06/201915/06/2019 गीतिका कौन है चोर कैसे हम जाने, कौन सिरमौर कैसे हम जाने। झूठे अभिमान के पीछे उसके, किसका है ज़ोर कैसे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 31/05/201901/06/2019 ग़ज़ल जब इश्क़ के असर में रहा। बहुत सबकी नज़र में रहा, यार मेरे पत्थर, पर उनके, संग शीशे के घर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 13/03/2019 ग़ज़ल कुछ अपने हैं पराए कुछ खड़े हैं, मगर जो साथ दे बस वो बड़े हैं। कभी भी वो नहीं माने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 23/02/2019 ग़ज़ल जाने कितने सवाल रखता है। खूब सिक्के उछाल रखता है। यार मतलब से भरी दुनिया में, कौन किसका ख़्याल रखता Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 03/02/2019 ग़ज़ल है बहुत आजकल ये थकी ज़िंदगी। जिंदगी की तरह न लगी जिंदगी। शाख से टूट कर गिर न जाए कहीं, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 20/01/201904/03/2019 ग़ज़ल बिना बात ही डर गए क्यूं?टूट गए, बिखर गए क्यूं? मंज़िल तक तो पंहुच जाते,रस्ते- रस्ते ठहर गऐ क्यूं? सज़ा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 16/12/201816/12/2018 ग़ज़ल अब जाने की तैयारी है क्या? पुरानी कोई उधारी है क्या? एक हाथ में फूल रखे हो एक हाथ कटारी Read More