गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 03/02/2019 ग़ज़ल है बहुत आजकल ये थकी ज़िंदगी। जिंदगी की तरह न लगी जिंदगी। शाख से टूट कर गिर न जाए कहीं, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 20/01/201904/03/2019 ग़ज़ल बिना बात ही डर गए क्यूं?टूट गए, बिखर गए क्यूं? मंज़िल तक तो पंहुच जाते,रस्ते- रस्ते ठहर गऐ क्यूं? सज़ा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 16/12/201816/12/2018 ग़ज़ल अब जाने की तैयारी है क्या? पुरानी कोई उधारी है क्या? एक हाथ में फूल रखे हो एक हाथ कटारी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 16/10/2018 ग़ज़ल रिंद, साक़ी, मयकदे की बात हो, हो नाम मेरा जब नशे की बात हो। जाईये न इस तरह की महफिलों Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 13/09/2018 एक प्रयास ग़ज़ल का,,, अपनी कीमत निकाल कर रखना, सिर्फ इज़्ज़त संभाल कर रखना। वो गिरे जब भी तेरे हक में हो, ऐसा सिक्का Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 26/08/201826/08/2018 ग़ज़ल दर्द दिल का सताए तो किससे कहें। मीत जब याद आए तो किससे कहें। जितना नज़दीक था यार पहले मेरा, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 29/07/2018 ग़ज़ल कैसी पलकों में है ये नमी कुछ तो है। अब लगे ज़िंदगी में कमी कुछ तो है। बेवज़ह कोन जीता Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 20/06/2018 ग़ज़ल वो होता नहीं हमारा क्यों, रुठा किस्मत का तारा क्यों! आते नहीं एक दिन मिलने, फिर करते हो इशारा क्यों! Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 22/05/2018 ग़ज़ल चारों और अंधेरा देखा दूर बहुत सवेरा देखा! मज़बूरों का फुटपाथों पे, मैने रेन- बसेरा देखा! बिखरे सब परिवार मिले, Read More
गीत/नवगीत *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 09/04/2018 गीत मेरी विधा से इतर एक प्रयास,,,,,,, दिन के बाद रात का आना ये सच है, ये अटल भी है, तेरे Read More