Author: जय प्रकाश भाटिया

कविता

राजकोट और दिल्ली में आग से बच्चों का विनाश

बच्चे,दिल के सच्चे,मासूम फ़रिश्ते,जात, धर्म, मज़हब, से अनजान,देश का भविष्य, अपने परिवार की जान ,केवल इंसानियत ही जिनकी पहचान,कुछ पढ़ाई

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गीत/नवगीत

कश्मीर के हालात पर

ओ जन्नत के वाशिंदों,अब क्यों इतने लाचार हुए,कहाँ तुम्हारी पत्थर ईंटे,कहाँ सभी हथियार हुए,कहाँ गया जेहाद तुम्हारा,पाक परस्ती कहाँ गयी,कहाँ

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