राष्ट्रीय बोध की संवाहक है हिन्दी भाषा
किसी भी देश को एक सूत्र में बांधने के लिए एक राष्ट्र भाषा होनी चाहिए,क्योंकि भाषा के माध्यम से ही
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Read Moreइस जंगल का राजा भइया बड़ा शिकारी है उल्टा-सीधा पाठ पढ़ाकर बाजी मारी है मद में डूबा रहता हरदम पीकर
Read Moreअफरा-तफरी मची हुई है है गहमा-गहमी आतंकी ने पाँव पसारे चिड़िया हैं सहमी दूर देश से यात्रायें यह करके आया
Read Moreबहुत हो चुका राग न ज्यादा हमको और सुनाओ जाओ-जाओ-जाओ,जाओ अब तो जल्दी जाओ आकर दहशत फैलाना, यह रंच हमें
Read Moreकभी न सोचा क्या होगा कल होता सिर्फ विकास रहा बढ़ा प्रदूषण हद से ज्यादा दूभर लेना साँस रहा सीना
Read Moreचिलचिलाती धूप दर-दर का मौसम बदल रही है सुबह से नाराज पसरी आग बरसे दोपहर में छाँह के भी अधर
Read Moreबेच रहे वे सपने कब से मचा-मचाकर हल्ला देखो कैसा खेल चल रहा उनका खुल्लम-खुल्ला आसमान के चाँद सितारे धरती
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