Author: डॉ. जय प्रकाश शुक्ल

कविता

नारी महत्व

धन्य हुवा नर संगति पाकर।।प्रकृतिस्वरूपा नारी श्रीपावन,दया,छमा,उत्साह,प्रेम,श्रृंगार सुहावन,ममता,त्याग,सरलतामूरत मोहक,दिव्य,अलौकिक लाजशीलसम्मोहक,यत्न सहेज श्रीअपनाकर।।शक्ति,भक्ति,पालन,पूजन,अर्चन,बंदनआत्मसमर्पण कर करती अभिनंदन,तिरस्कार के कठिन क्लेश को सहती,सेवाकर

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