कविता
जिनके आँगन खेले खाये बड़े हुए,
जिनकी उंगली पकड़ छितिज पर खडे हुए ।
अज दरश हित मिले न उनकी काया,
कैसी माया, माया राम की।।
नाम करोना,नाम का रोना,
जल्लाद भरें हैँ कोना कोना,
तनठग धनठग मानव बना खिलौना,
किसे दर्द है,शक्ति किसे है,
अज बचाये जीवन.काली छाया,
कैसी माया,मायाराम की ।