कविता

कविता

जिनके आँगन खेले खाये बड़े हुए,
जिनकी उंगली पकड़ छितिज पर खडे हुए ।
अज दरश हित मिले न उनकी काया,
कैसी माया, माया राम की।।
नाम करोना,नाम का रोना,
जल्लाद भरें हैँ कोना कोना,
तनठग धनठग मानव बना खिलौना,
किसे दर्द है,शक्ति किसे है,
अज बचाये जीवन.काली छाया,
कैसी माया,मायाराम की ।

डॉ. जय प्रकाश शुक्ल

एम ए (हिन्दी) शिक्षा विशारद आयुर्वेद रत्न यू एल सी जन्मतिथि 06 /10/1969 अध्यक्ष:- हवज्ञाम जनकल्याण संस्थान उत्तर प्रदेश भारत "रोजगार सृजन प्रशिक्षण" वेरोजगारी उन्मूलन सदस्यता अभियान सेमरहा,पोस्ट उधौली ,बाराबंकी उप्र पिन 225412 mob.no.9984540372