कविता

कविता – हाय कोरोना

हाय कोरोना हाय कोरोना दुनियां सारी चिल्लाती,
चारों ओर मचा है रोना दुनियां सारी कांपी जाती ।

कोरोना से बचना है तो बाहर नहीं जाना है,
बार बार हाथो को अपने मुंह से नहीं लगाना है ।
बार बार हाथो को अपने साबुन से ही धोना है
स्वच्छ रहेगें हम सब बच्चों फिर काहे का रोना है।
डरना नहीं है प्यारे भैया बीमारी है आती जाती ,
हाय कोरोना हाय कोरोना दुनियां सारी चिल्लाती,
चारों ओर मचा है रोना दुनियां सारी कांपी जाती । (1)

बार बार हाथों में अपने सेनेटाइजर लगाना है,
मुंह पर मास्क लगाकर कोरोना को भगाना है।
फेस मास्क और ग्लब्स से ये कोरोना भागेगा,
अपना जीवन रहे सुरक्षित नया सवेरा आएगा ।
चहुदिश आएगी खुशहाली नहीं कोयल गाती ,
हाय कोरोना हाय कोरोना दुनियां सारी चिल्लाती,
चारों ओर मचा है रोना दुनियां सारी कांपी जाती ।(2,)

— डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव

डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव

पिता का नाम-श्री बनवारी लाल श्रीवास्तव शिक्षा -एमएससी ,बीएड, पीएचडी लेखन विधा- कैरियर आलेख ,बाल साहित्य सम्प्रति- शासकीय शिक्षक अन्य -स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन राव गंज कालपी ,जालौन उत्तर प्रदेश पिन 285204 मोबाइल नंबर945131813 ईमेल om_saksham@rediffmail.com