स्वास्थ्य

कोरोना पीड़ितों में श्वाँस की समस्या एवं समाधान

कोरोना की जो दूसरी लहर देश में चल रही है उसकी प्रमुख विशेषता यह है कि वह बुखार और खाँसी-जुकाम जैसे सामान्य लक्षणों से भी अधिक प्रभाव फेंफड़ों पर डालती है। दूसरे शब्दों में, कोरोना से संक्रमित व्यक्ति को साँस लेने में कष्ट होने लगता है, जिससे अनेक बार ऑक्सीजन देने की भी आवश्यकता हो जाती है और समय पर ऑक्सीजन न मिलने पर पीड़ित की हालत और अधिक बिगड़ जाती है, जिसके कारण उसके जीवन पर भी संकट आ जाता है। श्वाँस लेने में कठिनाई के कारण सैकड़ों कोरोना पीड़ितों की मृत्यु के समाचार प्रतिदिन आते रहते हैं।

श्वाँस की इस समस्या का सरल समाधान योग और प्राकृतिक चिकित्सा में उपलब्ध है। जैसे ही किसी व्यक्ति को कोरोना से संक्रमित होने का पता चले, उसे निम्नलिखित उपाय तत्काल प्रारम्भ कर देने चाहिए, भले ही उसे श्वाँस लेने में कष्ट हो रहा हो या न हो रहा हो-

1. नित्य गुनगुने जल का सेवन दिन में कम से कम तीन-चार बार। अच्छा हो कि उसमें आधा नीबू और एक चम्मच शहद भी मिला लें।

2. दिन में तीन-चार बार नाक और मुँह से भाप लेना। जिस पानी की भाप ली जाये वह जरा सा सेंधा नमक मिला सादा ही होना चाहिए। उसमें आप चाहें तो सेंधा नमक की जगह अजवाइन डाल सकते हैं। भूलकर भी उसमें विक्स जैसी कोई दवा न डालें, नहीं तो उससे अनेक रोग हो सकते हैं।

3. दिन में चार-पाँच बार लगातार 5-5 मिनट तक गहरी साँस लें और निकालें। चाहें तो नाक से साँस खींचें और मुँह से निकालें या केवल नाक से खींचें और निकालें। मुँह से साँस निकालने पर फेंफड़ों को थोड़ा आराम मिल जाता है, लेकिन इसे नियम न बनायें। कभी कभी पेट के बल आराम से लेटकर भी श्वाँस-प्रश्वास का अभ्यास कर सकते हैं।

4. गाय का देशी घी (पतंजलि का घी अच्छा रहेगा) किसी डिब्बी में भरकर बीच-बीच में एक-दो मिनट तक लगातार सूँघें। इससे फेंफड़ों में हुआ कोरोना का संक्रमण कम होगा, क्योंकि गाय के देशी घी की सुगन्ध में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो कोरोना और ऐसे अन्य वायरसों को नष्ट कर सकते हैं।

5. सबसे बडी बात यह है कि सदा प्रसन्न रहें और आत्मविश्वास बनाये रखें कि आप शीघ्र ही रोगमुक्त हो जायेंगे।

यदि कोरोना पीड़ित व्यक्ति इन उपायों को प्रारम्भ से ही अपनायें तो उनको कोई बड़ी समस्या होने की सम्भावना ही नहीं रहेगी। यदि श्वाँस लेने की समस्या उत्पन्न हो ही गयी हो, तो ऑक्सीजन के लिए इधर-उधर भागदौड़ करने के बजाय ऊपर बताये गये उपायों को अपनाना चाहिए। साथ ही अपना ऑक्सीजन स्तर हर दो-तीन घंटे बाद नापते रहें, ताकि आपको अपनी प्रगति का पता चलता रहे और खतरे का भय समाप्त हो जाये।

— डाॅ विजय कुमार सिंघल
मो. 9919997596

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com