लघुकथा

लघुकथा – फोटोग्राफ्स

      बचपन के उस मित्र से बहुत वर्षो के बाद आज मुलाकात हुई। आज वह बहुत ही प्रसिद्ध फोटोग्राफर था। बहुत से राष्ट्रीय-अंर्तराष्ट्रीय पुरस्कार उसे प्राप्त हो चुके थे।  मैं उसके घर पर उसके पुरस्कृत फोटोग्राफ्स को बड़े ध्यान से देख रही थी। एक फोटोग्राफ्स पर उंगली रखते हुए उसने कहा-“यह मेरा सबसे लकी फोटोग्राफ्स है। इसी की बदौलत मुझे कई राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मान मिले हैं।”
           मैंने देखा कि नदी की तेजधार में कोई लड़की डूब रही थी। उसके हाथ सहायता के लिए उठे थे और चेहरे पर मौत का खौफ दिखाई दे रहा था।
      मैं उसके उस फोटो को देखकर डर गई। मेरे बदन पर झुरझुरी सी होने लगी परन्तु वाकई फोटो शूट उम्दा था। मैंने उससे कहा,   तुमने नदी की तेज धार पर यह फोटो कैसे शूट किया कि उस डूबती हुई  लड़की के दयनीय हाव -भाव और चेहरे की हर लकीरें दिख रही है? खैर छोड़ो तुमने जैसे भी यह फोटो शूट किया होगा पर तुम फोटो शूट करने की बजाय इस बच्ची को बचा भी तो सकते थे?
           मेरे इस प्रश्न पर वह चौंक गया। उसने अपना गला साफ करते हुए बड़ी मुश्किल से कहा-“हाँ, मैं चाहता तो उसे बचा सकता था पर यह डूबती हुई लड़की की फोटो पर जो पुरस्कार मुझे मिला है यह तो नहीं मिल पाता न? उसके बाद तो मैंने ऐसे कई फोटो खींचे जिन पर लगातार मुझे कई पुरस्कार मिले।
        यह सुनकर मेरा मन कसैला हो गया। मैंने उससे पूछा -अगर तुम उस डूबती हुई लड़की के स्थान पर होते तो? यह सुनकर वह बगले झांकने लगा।
— डॉ. शैल चन्द्रा

*डॉ. शैल चन्द्रा

सम्प्रति प्राचार्य, शासकीय उच्च माध्यमिक शाला, टांगापानी, तहसील-नगरी, छत्तीसगढ़ रावण भाठा, नगरी जिला- धमतरी छत्तीसगढ़ मो नम्बर-9977834645 email- shall.chandra17@gmail.com