उर्मिला की व्यथा
अपने भ्राता राम जी के संग लक्ष्मण चौदह वर्ष के लिए वनवास गए। अपने नवविवाहिता पत्नी उर्मिला को वह संग
Read Moreअपने भ्राता राम जी के संग लक्ष्मण चौदह वर्ष के लिए वनवास गए। अपने नवविवाहिता पत्नी उर्मिला को वह संग
Read Moreलालटेन कहे ‘माटी के दीप’ से बहुत छोटा है तेरा आकार, कैसे हटेगा तेरी ज्योति से अमावस का घनघोर अंधकार।
Read Moreआज सेठ रामदास की आंखों की कोरें भीगी हुई थीं। वह चाहकर भी अपने आंसुओं को रोक नहीं पा रहा
Read Moreआज गणतंत्र दिवस पर हमारे देश के जवानों को समर्पित मेरी रचना…. ” मस्त कलंदर ” चली ठंडी हवा जब
Read More“सुरेंद्र तुम दिन भर खेत में अकेले ही लगे रहते हो कोल्हू के बैल के जैसे। ना धूप देखते हो
Read Moreकहीं कुछ चटका शायद दिल का शीशा देखा जब कचड़ा बिनते बचपन। कहीं कुछ टूटा शायद मन का तार पाया
Read Moreनिकलती हूँ मैं जब शिवजी की जटा से स्वच्छ,निर्मल और स्फटिक जल लेकर, हो जाता स्वस्थ,दुर्बल,अस्वस्थ मनुष्य मेरे अति गुण
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