कुण्डलियाँ …
कैसे-कैसे दे गई , दौलत दिल पर घाव , रिश्तों से मृदुता गई ,जीवन से रस भाव | जीवन
Read Moreकैसे-कैसे दे गई , दौलत दिल पर घाव , रिश्तों से मृदुता गई ,जीवन से रस भाव | जीवन
Read More१ उड़ो परिंदे ! पा लो ऊँचे शिखर छू लो चाँद -सितारे, अर्ज़ हमारी- इतना याद रहे बस मर्याद रहे !
Read More1 निशा ने कहा भोर द्वारे सजाए निराशा नहीं तारक आशा के हैं चाँद आये न आए । 2 सूरज
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