मेरी जापान यात्रा – 5
गाइड बताती है कि हर वर्ष यहां एक मेला लगता है। जिस लम्बी सड़क से हम आये थे , उसके
Read Moreगाइड बताती है कि हर वर्ष यहां एक मेला लगता है। जिस लम्बी सड़क से हम आये थे , उसके
Read Moreहमारी बस एक जापानी मंदिर के आगे रुकती है। अनेकों ध्वजा पताकाएं मंदिर के प्रांगण में बाँस के सहारे पेड़ों
Read Moreसुबह जब होटल में नाश्ते के बाद रिसेप्शन पर भ्रमण आदि के लिए पूछने गए तो हलकी रिमझिम हो रही
Read Moreकेवल यह जानकार कि आप बाहर से उनके देश में आये हैं वह तीन बार झुक कर अपनी भाषा में
Read Moreकुछ दिन पहले जापान जाने का अवसर मिला। हम दोनों जापान से लगभग अनभिज्ञ
Read Moreबात सन १९८६ की है। जनवरी का महीना था। अब तो बहुत वर्षों से इंग्लैंड में बर्फबारी हुई ही नहीं
Read Moreतीन महीने की प्रसूति की छुट्टी खत्म होने में केवल दस दिन शेष रह गये। प्राची को वापस अपने विभाग
Read Moreअजीत शर्मा , सुबह सुबह उठे। पत्नी शिखा ने गरम गरम प्याली चाय की पकड़ाई। साथ ही उसने सासु माँ
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