टाकायामा को शीश नवाकर हम अगली सुबह वापिस टोक्यो आये। क्योंकि हम पहाड़ी इलाके से गुजर रहे थे नज़ारा बहुत सुन्दर मिला। पहाड़ यहां बाँस के जंगलों से भरे थे। बीच बीच में नदियों की जलधाराएं उतरती हुई नज़र आ जाती थीं। गाड़ी की रफ़्तार इतनी तेज कि और कुछ समझ पाना कठिन लग रहा […]
Author: *कादम्बरी मेहरा
मेरी जापान यात्रा – 13
क्योटो का रेलवे स्टेशन मंदिर से बहुत दूर नहीं था। हम अपनी छोटी छोटी सामान की ट्रॉलियां खींचते यथासमय टाकायामा जानेवाली ट्रैन में बैठ गए। यह लम्बी यात्रा होगी क्योंकि यह शहर टोक्यो से उत्तर पूर्व की तरफ पड़ता है। और दूर भी है। परन्तु जाना जरूरी है क्योंकि जब हम इंग्लैंड से आये थे […]
मेरी जापान यात्रा – 12
नारा आठवीं शताब्दी में जापान की राजधानी हुआ करता था। नारा का शाब्दिक अर्थ ” प्रसन्न ” है। इस शब्द का मूल स्रोत हिंदी माना जाता है। यह महात्मा बुद्ध के विशाल मंदिर के कारण प्रसिद्ध है . यहां टोडायजी मंदिर है जिसमे महात्मा बुद्ध की १५ मीटर यानि करीब पचास फ़ीट ऊंची कांसे की […]
मेरी जापान यात्रा – 11
क्योटो एक बहुत ऐतिहासिक नगर है। यह जापान की राजधानी रहा है। इस कारण यहां बौद्ध धर्म और शिंटो धर्म दोनों ही के मठ और मंदिर बहुतायत से मिले। सुबह पहुंचते ही पहले सिटी टूर बुक करवाया। ओसाका वाली गलती अब कभी भी दोहरानी नहीं थी। चलना तो अच्छा है […]
मेरी जापान यात्रा -10
कोबे से ओसाका केवल २० मिनट की दूरी पर है। होटल के स्वागत कक्ष में लगे सचित्र ब्रोशर के अनुसार यहां इतनी चीजें देखने लायक नहीं थीं। असल में हम थके भी थे। अतः पूरा टूर नहीं बुक करा और सैलानियों की तरह निकल पड़े। जल्दी ही लगा कि बड़ी गलती कर दी। अतः एक […]
मेरी जापान यात्रा – 9
हिरोशिमा से हम कोबे गए। पर जाते ही होटल अपने पश्चिमी तरीके का बदल लिया। कारण जापान में अभी भी देसी खुड्डी का रिवाज़ है। पब्लिक टॉयलेट भी दोनों तरह के बनाये गए हैं। मगर उनकी सफाई बहुत थी। और हर जगह एक छोटा ,बच्चों के मतलब का टॉयलेट भी बना हुआ था। चाहे वह […]
मेरी जापान यात्रा – 8
सन १९६६ में जॉय मुकर्जी की फिल्म लव इन टोकियो ने हमें बहुत प्रभावित किया था। फिल्म तो आम हिंदी फिल्मो की तरह एक उलझी हुई प्रेम कथा ही थी ,मगर इसके बीच में इंटरवल से पहले हिरोशिमा में हुए बम काण्ड का पूरा किस्सा अंग्रेजी की एक डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया था जो अत्यंत […]
मेरी जापान यात्रा – 7
अगली सुबह हमें बुलेट ट्रैन से यात्रा करनी है। यह सिटिंग कोच होगी सोंचकर अपना सामान कम किया। एक बड़ा सूटकेस होटल के लाकर में रखवा दिया। सात दिन की तफरी के बाद हमें यहीं से वापिस इंग्लैंड जाना होगा। बहुत सुबह निकलना है। टोकियो से हिरोशिमा की दूरी ८१२ किलोमीटर है, जिसे सामान्य रेलगाड़ी […]
मेरी जापान यात्रा – 6
शाम को साढ़े चार बजे हम सब शहर घूमते हुए वापिस जा रहे हैं। हमारी गाइड बताती है कि जापान क्षेत्रफल में एक बेहद छोटा सा देश है। इसलिए शहरों को सुनियोजित करना बहुत आवश्यक है। शहरों में बसें और ट्रेनें चलती हैं। ट्रेनों में सफर करनेवाले बहुत सुबह अपने घरों से निकल जाते हैं। […]
लोहड़ी
आज से पचास या साठ वर्ष पहले उत्तर पूर्व के राज्यों में लोहड़ी के त्यौहार को कोई कोई जानता था। परन्तु अब पंजाब की ओर से अनेक रिवाज़ अन्य प्रांतों की जीवन शैली में घुल मिल गए हैं। इसका मुख्य कारण सिख समुदाय का परिवहन के क्षेत्र में योगदान […]