बिरह गीत गाऊं मै
धरा को सुला दूं, गगन को जगा दूं प्रिय , चांदनी में विरह गीत गाऊं मैं। बहुत है उदासी हृदय
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Read Moreउम्र बीत जाएगी और स्नेह की ये गागरी प्राण, एक रोज रीत जायेगी , फूलों को चुनो। न शूल से
Read More************ किसे मैं रूलाऊं किसे मैं हंसाऊं, रहा दूर तुमसे किसे मैं बताऊं।। हंसी आज रोदन खुशी दूर मुझसे, जलाती
Read Moreमेरा इस जग में, आज अगर प्रिय होता कोई! मैंने प्यार किया जीवन में जीवन ही अब भार मुझे, रख
Read Moreआज मैं तुम्हें न पा सका, इसलिए न गीत गा सका। बहार फूल तो खिले मगर, मिले उसे भ्रमर न
Read Moreतुमने हल्के से मुस्कुरा कर मेरे दिल में दस्तक दी, रात कब तारों को अलबिदा कर दी, सहर में बदल
Read Moreहे मां शेरावाली अन्दर ऐसा प्रेम जगाओ जन जन का उपकार करूं, प्रज्ञा की किरण पुंज तुम हम तो निपट
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