कल्पना
अभी उम्र वाकी बहुत है प्रिये , तुम न रूठो,अभी ज्योति मेरे नयन में। इधर कल्पना के सपने हम सजाते,
Read Moreजब याद तुम्हारी आती है मन आकुल व्याकुल हो जाता है तुम चांद की शीतल छाया हो तुम प्रेम की
Read Moreपास रहतीं न तुम दीप जलाता न यों प्राण , रहतीं न तुम प्यार पलता न यों। रीति उनकी रही
Read Moreजीवन की मादक घड़ियों में, मुझको मत ठुकराना प्रिये, नव ऊषा लेकर आएगी, जब मधुमय जीवन लाली, कुहू- कुहू कर
Read Moreधरा को सुला दूं, गगन को जगा दूं प्रिय , चांदनी में विरह गीत गाऊं मैं। बहुत है उदासी हृदय
Read Moreद्वार तुम्हारे आया हूँ प्रिय, जीवन में दुत्कार बहुत है। जीवन का मधु हर्ष बनो तुम, जीवन का नव वर्ष
Read Moreमेरी हमेशा कोशिश रहती है कि मैं वृक्ष सा बनूं। क्यों कि वृक्ष की छाया में राह चलते राहगीर पनाह
Read Moreप्यार अमूल्य धरोहर है इसकी अनुभूति किसी योग साधना से कम नहीं है, इसके रूप अनेक हैं लेकिन नाम एक
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