कविता

तुम्हारी याद

जब याद तुम्हारी आती है
मन आकुल व्याकुल हो जाता है
तुम चांद की शीतल छाया हो
तुम प्रेम की तपती काया हो।

तुम आये भर गये उजाले
सफल हुए सपने जो पाले
द्वार हंसे, आंगन मुसकाये
भाग्य हो गये मधु के प्याले ।

तुम हो सावन की रिमझिम फुहार
तुम फागुन के रंग रसिया
जिन क्षणों तुम साथ रहे हो
वहीं पर मेरे मधु मास हुए हैं।

तुम दूर रहो या पास रहो
तुम्ही प्रेम का एहसास हो
इस बहती जीवन धारा में
तुम जीने की आस हो।

— कालिका प्रसाद सेमवाल

कालिका प्रसाद सेमवाल

प्रवक्ता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, रतूडा़, रुद्रप्रयाग ( उत्तराखण्ड) पिन 246171