गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 04/02/2020 ग़ज़ल अब नेक राजधर्म निभाने की’ बात कर सब मुफलिसों को’ अन्न खिलाने की’ बात कर | शोषित हुए शताब्दियों से Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 04/02/2020 ग़ज़ल रहनुमा को सदा मस्तियाँ चाहिए खूबसूरत मधुर तितलियाँ चाहिए | लीन है मयकशी में बशर जो, उन्हें गोश्त सेंका हुआ, Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 04/02/2020 ग़ज़ल पार्टियों में द्वेष ज्यों बढ़ता रहा दुश्मनी का भी जहर घुलता रहा | माल सब गोदाम में भरते गए बारहा Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 08/11/2019 ग़ज़ल प्यार का हर शर्त अब मंजूर है प्यार तेरा मेरा’ तो मक्दूर है | आज थोड़ा चाय पानी आम है Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 08/11/2019 ग़ज़ल प्रेम में डूबना खुमारी है प्रेम पागल बशर पुजारी है | जानता हूँ समाज कहते हैं तेरी तारीफ चाटुकारी है Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 08/11/2019 ग़ज़ल शील मानव का सही पहचान है स्वार्थ हिंसा से भरा शैतान है | अंध विश्वासों का’ उन्मूलन करो एक ही Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 06/08/2019 ग़ज़ल जगत में बारहा आता रहा हूँ खुदा का मैं बहुत प्यारा रहा हूँ | वफ़ा में प्यार मैं करता रहा Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 06/08/2019 ग़ज़ल चारो तरफ की’ मार से’ दुश्मन बिखर गए जांबाज़ सैनिकों की’ दिलेरी से’ डर गए | हर एक ने लिखा Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 06/08/2019 ग़ज़ल जौंक-ओ-मीर शायरी है अभी नज़्म के एक लेखनी है अभी | नज्र में उनकी’ तीरगी है अभी वो बची ख़ाक, Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 06/08/2019 ग़ज़ल छुआ है होंठ को हमने इशारे में किया इज़हार जानम ने इशारे में | नयन की चाह थी देखूँ उन्हें Read More