गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 21/05/201921/05/2019 ग़ज़ल समझना यही था कि क्या चाहते थे प्रजा न्याय को माँगना चाहते थे | किसी में हुआ कुछ, अलग ही Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 21/05/2019 ग़ज़ल घर द्वार/ नहीं कर्ज/ में’ दिलगीर/ गर आये सुन कष्ट नयन मेरे भी’ आंसू से भर आए | सब शत्रु Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 21/05/2019 ग़ज़ल पर्व है शुभ, लगा गुलाल हमें रब ! अभी करने’ दे धमाल हमें | अब तलक हम नहीं हुए काबिल Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 21/05/2019 ग़ज़ल अब तक विकास के लिए’ क्या क्या किया गया कमजोर वास्ते तो’ जरा सा किया गया | सबका विकास, हाथ Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 21/05/2019 ग़ज़ल गुल की’ खुशबू तैरती गुलजार का वक्त है माली के इक उपहार का | सावधानी से सही कहना यहाँ कान Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 20/04/2019 ग़ज़ल चुनावी फित्न तो सोचा हुआ है हमारे साथ तो धोखा हुआ है | लुटेरा देश से भागा हुआ है पहरे Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 20/04/2019 ग़ज़ल न्याय का दीन इंतजार करें दोस्त को दोस्त एतवार करें| फक्त सच को तुरंत व्यक्त करें आप हमको न बेकरार Read More
पद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 20/04/2019 ग़ज़ल भर गया दिल प्रेम से दिलदार का अब नहीं कोई वजह इनकार का | सिर्फ हर्षोल्लास पर्वों में नहीं, मान Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 19/03/2019 ग़ज़ल दुनिया सभी देखी यहाँ, इसके सिवा देखा कहाँ ए जिंदगी जग में कटी, जग छोड़ अब जाना कहाँ ? अज्ञान Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 19/03/2019 ग़ज़ल हुआ है प्यार तो वे चश्म से इकरार करते है छुपाकर प्यार दिल में, क्यों जुबां से वार करते है Read More