गीतिका/ग़ज़ल *कालीपद प्रसाद 19/02/201919/03/2019 ग़ज़ल प्रेम इजहार में तकरार जरूरी तो नहीं आपसी मेल में मनुहार जरूरी तो नहीं | डूबना ही था’ तुझे डूबते’ Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 12/01/201912/01/2019 ग़ज़ल सैनिकों ने ही मिटाया, दाग दामन में नहीं वो गुलामी का चिन्ह भी आज गुलसन में नहीं | हिन्द की Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 12/01/201912/01/2019 ग़ज़ल उन्हें मुफलिसी से उठा कर तो’ देखे विरादर में’ अपने मिलाकर तो’ देखे | महल जानते कष्ट क्या झोपडी का Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 12/01/201912/01/2019 ग़ज़ल अँधेरी’ रात में’ रब एक माहताब तो’ दे मे’रे सनम के’ दिले बाग के गुलाब तो’ दे | चलो कहीं Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 14/12/201814/12/2018 ग़ज़ल वो सभी किस्से कहानी और है ये बुढ़ापा की जवानी और है | मौज मस्ती की जवानी और है सादगी Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 14/12/201814/12/2018 ग़ज़ल इफ़रात मुहब्बत कभी’ मारा नहीं’ करते कौमार्य की’ आतिश को’ बुझया नहीं’ करते | मन्शा सही’ जिसका हो’, बहाना नहीं’ Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 14/12/201814/12/2018 ग़ज़ल नाश करने पाप को पावक उबलना चाहिए देश प्रेमी का धड़कता दिल मचलना चाहिए | नाश भ्रष्टाचार का होना जरूरी Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 20/11/2018 ग़ज़ल चाहती क्या तू ज़माना छोड़ दें ? ये सभी रिश्ते निभाना छोड़ दें ? बेवफा बनना सिखाता क्यूँ मुझे वक्त! Read More
गीतिका/ग़ज़ल *कालीपद प्रसाद 20/11/201822/11/2018 गजल हर तरफ है खौफ का मंजर खुला रहनुमा का राज़ का तेवर खुला | बंद के पश्चात जब परिसर खुला Read More
गीतिका/ग़ज़ल *कालीपद प्रसाद 20/11/201822/11/2018 गजल हैरान हो गया बुझा व्यवहार देखकर अभिभूत हो गया दिली सत्कार देखकर अंग्रेज आये थे यहाँ व्यापार के लिए फिर Read More