गीतिका/ग़ज़ल *कालीपद प्रसाद 20/11/201822/11/2018 ग़ज़ल सिर्फ तकरीर ही सब कुछ नहीं, तद्वीर भी थी जो मिला उसमें भी इंसान की तक़दीर भी थी | चाह Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 17/10/2018 ग़ज़ल शुश्रुषण माँ बाप का करके, खरा हो जाना कर्ज माता का पिता का था, अदा हो जाना | पूजते है Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 17/10/2018 ग़ज़ल कर्म करना यहाँ’ निष्ठा से, धरम ही जाना भाग्य, प्रारब्ध, सभी को अब भरम ही जाना | मृत्यु के बाद Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 17/10/2018 ग़ज़ल कर्म का भोगते सिर्फ अन्जाम है दुःख सुख कर्म का मात्र ईनाम है | मुर्ख ही सोचते हैं धरा कष्ट Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 17/10/2018 ग़ज़ल इस देश का चुनाव है’ अपने शबाब में अब कौन शख्स है खरा’ इस इन्तखाब में ? जनता के’ सामने Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 19/09/2018 ग़ज़ल दिल को’ जिसने बेकरारी दी वही बेताब था जिंदगी के वो अँधेरी रात में शबताब था | मेरे जानम प्यार Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 19/09/2018 ग़ज़ल अभी किसी को’ भी’ नेता पे’ एतिकाद नहीं प्रयास में असफल लोग नामुराद नहीं | किये तमाम मनोहर करार, सब Read More
गीतिका/ग़ज़ल *कालीपद प्रसाद 16/09/201821/09/2018 ग़ज़ल तारीफ़ से हबीब कभी तर नहीं हूँ मैं मुहताज़ के लिए कभी पत्थर नहीं हूँ मैं | वादा किया किसी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *कालीपद प्रसाद 16/09/201817/09/2018 ग़ज़ल थकी थकी सी’ दिखी थी, तनाव ऐसा था नकारना था’ कठिन वह, दबाव ऐसा था | कभी नहीं मिले’ भरपेट Read More
कथा साहित्यकहानी *कालीपद प्रसाद 10/08/2018 नई सोच -कहानी नई सोच दीपा की शादी 10 वर्ष की उम्र में ही दीपंकर से हो गई थी | गांवकी रीति-रिवाजों के Read More