वतन को जान हम जानें
वतन को जान हम जानें, हमारी जाँ वतन में हो। जुड़ा है जन्म से नाता, जनम भर मन नमन में
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Read Moreगाड़ी जैसे ही प्लेटफोर्म पर रुकी, विचारों के जाल में उलझे मनोज ने तेज़ी से अपना बैग उठाकर कंधे पर
Read Moreफूल हमेशा बगिया में ही, प्यारे लगते। नीले अंबर में ज्यों चाँद-सितारे लगते। बिन फूलों के फुलवारी है एक बाँझ
Read Moreआज खबरों में जहाँ जाती नज़र है। रक्त में डूबी हुई होती खबर है। फिर रहा है दिन उजाले को
Read Moreफूलों के मौसम में फिर फिर, आ जाते कनहल के फूल। रंग-रंग में नई उमंगें, भर लाते कनहल के फूल।
Read Moreडाल-डाल पर गुल खिले, बसंत आया है। पात-पात हँसकर कहे, बसंत आया है। चारु चंद्र की चाँदनी, विहार को उतरी।
Read Moreहर दिन दूने रात चौगुने, भूख-प्यास के दाम हुए। नेताजी! कुछ कहो तुम्हारे, नारे क्यों नाकाम हुए। तिल-तिल दर्द बढ़ाकर
Read Moreडाल से मुझको न तोड़ो, फूल कहता है। उँगलियों से यूँ न मसलो, फूल कहता है। देख मुझको क्यारियों में,
Read Moreमई माह की जानलेवा गर्मी की प्रभात वेला में मुरुड़ बीच (महाराष्ट्र) पर स्थित होटल “डिवाइन होम स्टे” के अंदरूनी
Read Moreपूर्ण कर अरमान, नूतन साल आया। जाग रे इंसान, नूतन साल आया। ख़ुशबुओं से तर हुईं बहती हवाएँ थम गए
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