गीतिका/ग़ज़ल *कल्पना रामानी 28/04/201526/04/2015 ग़ज़ल है ज़िंदगी का फलसफ़ा, ज़रा सा मुस्कुराइये बनेगा दर्द भी दवा, ज़रा सा मुस्कुराइये विगत को क्यों गले लगा, बिसूरते Read More
गीतिका/ग़ज़ल *कल्पना रामानी 27/04/201510/01/2016 ग़ज़ल हरेक बात पे सौ बार जब विचार करो किसी के वादे पे तब दोस्त! ऐतबार करो ये जान लो कि Read More
गीतिका/ग़ज़ल *कल्पना रामानी 26/04/201526/04/2015 ग़ज़ल खुदा से खुशी की लहर माँगती हूँ। कि बेखौफ हर एक घर माँगती हूँ। अँधेरों ने ही जिनसे नज़रें मिलाईं Read More