निरुत्तर
उस घुमावदार गुफानुमा बाजार से तगड़ी खरीदारी करने के बाद पसीने से लथपथ होतीं सुधा और सुरुचि बेहद थक चुकी
Read More“वृद्धाश्रम…??? ओह बेटे, तुमने यह सोच भी कैसे लिया कि मैं इसके लिए तैयार हो जाऊँगी…?” दुखातिरेक से तरुणा की
Read Moreअरे छाया! तुम यहाँ? “हाँ ज्योति, मेरा विवाह इसी शहर में हुआ है लेकिन तुम…? “मेरा भी, छाया…”, ज्योति हँसकर
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