ग़ज़ल : विश्व में आका हमारे
वे सुना है चाँद पर, बस्ती बसाना चाहते। विश्व में आका हमारे, यश कमाना चाहते। लात सीनों पर जनों के,
Read Moreवे सुना है चाँद पर, बस्ती बसाना चाहते। विश्व में आका हमारे, यश कमाना चाहते। लात सीनों पर जनों के,
Read Moreजतन किए बिन, सोच रहे जन, कब आएँगे अच्छे दिन। पैराशूट पहन क्या नभ से, कूद पड़ेंगे अच्छे दिन? जब
Read Moreख़ुशबुओं के बंद सब बाज़ार हैं बिक रहे चहुं ओर केवल खार हैं पिस रही कदमों तले इंसानियत शीर्ष सजते
Read Moreअगर कहीं भी बंधु, चिरागों पर चर्चा हो भव-भूतल के बिसरे कोनों पर चर्चा हो व्यर्थ विलाप, निराशा, रुदन, विसर्जित
Read Moreजो रस्ते क्रूर होते, कंटकों वाले। चला करते हैं उनपर, हौसलों वाले। जड़ों से हैं जुड़े तरुवर, ये जो इनको
Read Moreजिसे भूले, तुमको, वही ढूँढती है तुम्हें गाँव की हर खुशी ढूँढती है सुखाकर नयन जिसके आए शहर को वो
Read Moreदेखकर सपने, छलावों से भरे बाज़ार में। लुट रही जनता, दलालों से भरे बाज़ार में। चील बन महँगाई, ले जाती
Read Moreपाप गठरी सिर धरे, गंगा नहाने आ गए। सौ जनम का मैल, सलिला में मिलाने आ गए। ये छिपे रुस्तम
Read Moreघटे शीत के भाव-ताव, दिन बने बसंती गुलशन हुए निहाल, और गुल खिले बसंती पेड़-पेड़ ने पूर्ण पुराने वस्त्र त्यागकर
Read Moreमंज़िलें आगे खड़ी हैं, चल पड़ें रुकना नहीं। मुश्किलों के खौफ से, पीछे हटें अच्छा नहीं। राह जो बाधा बने,
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