आखिर कैसे?
दर्द के मंजर हर तरफ हैं यहां, ज़ख्मों को छिपा मैं मुस्कुराऊं कैसे? गर्दिश में आजकल हैं सितारे मेरे, हौसलों
Read Moreदर्द के मंजर हर तरफ हैं यहां, ज़ख्मों को छिपा मैं मुस्कुराऊं कैसे? गर्दिश में आजकल हैं सितारे मेरे, हौसलों
Read Moreअवचेतन हृदय व्योम पर, बिखरी है यत्र सर्वत्र, तुम्हारे प्रेम की सुरभि। सुरभि जिसमें समाहित है, अपनत्व का अथाह सौरभ।
Read More“मां, आखिर अब इस घर में बचा ही क्या है?पापा के जाने के बाद तुम भी बिल्कुल अकेली हो गई
Read Moreमनुष्य प्रकृति का एकमात्र ऐसा प्राणी है जिसमें सोच विचार, तर्क वितर्क, चिंतन, विश्लेषण आदि मानसिक क्रियाएं होती रहती हैं।
Read Moreनिर्मला एक शासकीय शिक्षिका थी। हाल ही में प्री बोर्ड परीक्षाएं संपन्न हुई थीं और वह बड़ी तन्मयता से बारहवीं
Read Moreरोहिणी कॉलेज से लौटी तो देखा आज सभी बहुत व्यस्त दिखाई दे रहे थे। घर को बड़े करीने से सजाया
Read More“मां” एक ऐसा शब्द जिसमें समस्त ब्रह्माण्ड समाया है।नारी के अनेक रूपों में से मां को सर्वश्रेष्ठ रूप कहना अनुचित
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