गीत-***काव्य प्रबंध लिखूँ***
मन करता है तेरे अधरों पर मैं छंद लिखूँ. ढाई आखर में होता है क्या आनंद लिखूँ. रूप-रंग पर लिख
Read Moreमन करता है तेरे अधरों पर मैं छंद लिखूँ. ढाई आखर में होता है क्या आनंद लिखूँ. रूप-रंग पर लिख
Read Moreअमेरिका की साहित्यिक-सामाजिक संस्था उत्तर प्रदेश मंडल ऑफ अमेरिका (उपमा) की बोर्ड मेंबर, कैलीफोर्निया की प्रसिद्ध हिंदी कवयित्री श्रीमती मंजू
Read Moreहमको पीर छिपानी भी है. अपनी बात बतानी भी है. ख़ुश भी हूँ उसके आने से, थोड़ी सी हैरानी भी
Read Moreउसे अपना कल्चर पता ही नहीं है. वो कुत्ता है पर भौंकता ही नहीं है. कई बार उसको बनाया है
Read Moreमिल पायें न मिल पायें पर याद ज़रूरी है थोड़ा ही सही फिर भी संवाद ज़रूरी है रिश्तों का पौधा
Read Moreमुझको इतना ज़्यादा जाने. जो भी कह दूँ वो सच माने. वो जीवन में ऐसे आया. जैसे कड़ी धूप में
Read Moreहम तो सच को ढूँढ रहे हैं यारों में यार उसे लेकर बैठे बाज़ारों में ये माना अख़बार पढ़ा है
Read Moreहम अपने शब्दों से ऐसा जादू कर देंगे. छोटी सी गागर में सारा सागर भर देंगे. हम “बारिश” लिख देंगे
Read Moreदेखो-देखो यह खिला चाँद. क़िस्मत से मुझको मिला चाँद. पहले चाहों में साथ रहा. मेरी राहों में साथ रहा. जब
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