ग़ज़ल
दे दिखाई न दूसरा कोईठंड से काँपता हुआ कोई और किस रोज़ धूप निकलेगीतापता आग पूछता कोई फूल कुम्हला गए
Read Moreकुछ अपने में डूबोकुछ दुनिया मेंउचटे हुए खोए-खोए मत रहोनहीं तो खो जाओगे एक रोज़और खो दोगे वे अमूल्य गुहरजो
Read Moreएक वीरान-से इलाक़े मेंएक विशाल पेड़ के नीचेरेल की पटरी के किनारेबैठा रहना भीदुख की काट हो सकता हैमालूम न
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