Author: ख्यालती टंडन

कविता

वृक्षों पर अनाचार”

बेजुबान वृक्षों की चीत्कार सुनो,कुल्हाड़ियों द्वारा उनपर होते प्रहार सुनो,बे- घर होते पक्षियों की गुहार सुनो,उन नन्हें से वृक्षारोही गिलहरियों

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