मुक्तक : व्यर्थ
व्यर्थ में व्यर्थ का, राग आप अलापते, व्यर्थ ही आग में, आप आहूति डालते। यज्ञ या चिता नही, ये दावानल
Read Moreव्यर्थ में व्यर्थ का, राग आप अलापते, व्यर्थ ही आग में, आप आहूति डालते। यज्ञ या चिता नही, ये दावानल
Read Moreकिसने कहा कि सब बेटियाँ मरती हैं कोख में, पलते हुये देखा है हमने, माँ बाप के आगोश में। नही
Read Moreमैं दीया हूँ, रात भर टिमटिमाता रहा हूँ, जलाकर तेल औ’ बाती, तम मिटाता रहा हूँ जानता हूँ कुछ पल
Read Moreहदों में रहकर भी, मन्जिल पाने की आस करते रहे, बडे नासमझ थे, बेवफा से वफा की आस करते रहे।
Read Moreआज सारा सोशल मिडीया मोदी जी की कार्यशैली पर सवाल उठा रहा है, 56 इंच सीने की बात कर रहा
Read Moreयोग दिवस के मुद्दे पर मोदी ने, योग कराया दुनिया को, रामदेव की कपालभांति से, अवगत कराया दुनिया को। शीर्षासन
Read Moreभारत सदैव ही, एक विकसित देश है, जिसकी की रज-रज मे मानवता का समावेश है | विश्व बंधुत्व जहाँ धर्म
Read Moreबचपन की बात बस, बचपने से सीखिए, युवावस्था, आये बुढापा, बचपन ना जाने दीजिये। बचपन की मासूमियत, मुख पर बरकरार
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