हाथों में हाथ लिए
हाथों में हाथ लिए चुने थे परिजात!छुपा-छुपी, लंगड़ी, गुड्डे की बारात!पतंगें उड़ाना, वो मांझे को लपेटना!आँगन में गिरे कच्चे आम
Read Moreहाथों में हाथ लिए चुने थे परिजात!छुपा-छुपी, लंगड़ी, गुड्डे की बारात!पतंगें उड़ाना, वो मांझे को लपेटना!आँगन में गिरे कच्चे आम
Read Moreसूरज के तेजस घोड़े चले अंतरिक्ष के उस पार,मन में उमड़ते-घूमड़ते भाव, खोले ग्रह-नक्षत्र द्वार! परिंदों ने फैलाएं पँख, चले
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