सदाबहार काव्यालय-37
चंद अशरात ग़म मिलते गए सरे-राह, ख़ुशी की तलाश में ग़म से किया किनारा, रास्ते ही खो गए **********
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Read Moreस्नेहा और स्निग्धा बचपन में साथ पढ़ी थीं. कई सालों बाद आज वे एक लेखक सेमीनार में मिली थीं. स्नेहा
Read Moreमोहन अपना छोटा बछड़ा, एक दिवस ले खेत गया, इधर-उधर वह लगा खेलने, खेलते-खेलते चौंक गया. मक्खी एक बड़ी तेजी
Read Moreगीत यह देश तेरा भी मेरा भी अल्लाह गर हैं तेरे भगवान हैं मेरे भी है लाल लहू
Read Moreबड़ी हसरत से आए थे, मिलने को ऐ दोस्त, सारी दुनिया की तरह, तू भी बेवफ़ा निकला. अब तक तो
Read Moreदिन भर खेलता खूब मुरारी, कभी न पढ़ता-लिखता था, इधर-उधर घूमा करता वह, काम न कोई करता था. एक बार
Read Moreकविता लिफ़्ट का संदेशा लिफ़्ट हमें लिफ़्ट देती है साथ ही देती है एक संदेशा कि ”भला” करने
Read Moreकितने ही कष्ट पड़ें सहने, स्वधर्म पालना है हितकर, स्वधर्म में मरना होता है, परधर्म में जीने से बेहतर. स्वभाषा देती
Read Moreजाग युवा जाग कि तेरे जागने से देश जगेगा देश जगेगा और हर क्षेत्र में विकास करेगा, भ्रष्टाचार और दुराचार
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