गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 11/10/2022 ग़ज़ल दुनिया बालों की हम पर जब से इनायत हो गयी उस रोज से अपनी जख्म खाने की आदत हो गयी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 27/09/2022 ग़ज़ल पाने को आतुर रहतें हैं खोने को तैयार नहीं है जिम्मेदारी ने मुहँ मोड़ा ,सुबिधाओं की जीत हो रही. साझा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 08/09/2022 ग़ज़ल अंधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर बिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल। ख्वाबों और Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 21/08/2022 ग़ज़ल दीवारें ही दीवारें , नहीं दीखते अब घर यारों बड़े शहरों के हालात कैसे आज बदले हैं उलझन आज दिल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 24/07/2022 ग़ज़ल वक्त कब किसका हुआ जो अब मेरा होगा बुरे वक्त को जानकर सब्र किया मैनें किसी को चाहतें रहना कोई Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 19/07/2022 ग़ज़ल प्यार की हर बात से महरूम हो गए आज हम दर्द की खुशबु भी देखो आ रही है फूल से Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 14/07/2022 ग़ज़ल सपनीली दुनियाँ मेँ यारों सपनें खूब मचलते देखे रंग बदलती दूनियाँ देखी ,खुद को रंग बदलते देखा सुबिधाभोगी को तो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 19/06/2022 ग़ज़ल रिश्ते नाते प्यार वफ़ा से सबको अब इन्कार हुआ बंगला ,गाड़ी ,बैंक तिजोरी इनसे सबको प्यार हुआ जिनकी ज़िम्मेदारी घर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 19/06/2022 ग़ज़ल बोलेंगे जो भी हमसे वह, हम ऐतवार कर लेंगे जो कुछ भी उनको प्यारा है , हम उनसे प्यार कर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 15/06/2022 ग़ज़ल हर सुबह रंगीन अपनी शाम हर मदहोश है वक़्त की रंगीनियों का चल रहा है सिलसिला चार पल की जिंदगी Read More