गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 03/03/2023 ग़ज़ल दूर रह कर हमेशा हुए फासले ,चाहें रिश्तें कितने क़रीबी क्यों ना हों कर लिए बहुत काम लेन देन के, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 09/02/2023 ग़ज़ल जब अपने चेहरे से नकाब हम हटाने लगतें हैं अपने चेहरे को देखकर डर जाने लगते हैं बह हर बात Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 07/01/2023 ग़ज़ल किसको अपना दर्द बतायें कौन सुनेगा अपनी बात सुनने बाले ब्याकुल हैं अब अपना राग सुनाने को हिम्मत साथ नहीं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 15/12/2022 ग़ज़ल पाने को आतुर रहतें हैं खोने को तैयार नहीं है जिम्मेदारी ने मुहँ मोड़ा ,सुबिधाओं की जीत हो रही साझा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 09/12/2022 ग़ज़ल प्यार की हर बात से महरूम हो गए आज हम दर्द की खुशबु भी देखो आ रही है फूल से Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 17/11/2022 ग़ज़ल बीती उम्र कुछ इस तरह कि खुद से हम न मिल सके जिंदगी का ये सफ़र क्यों इस कदर अंजान Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 16/11/2022 ग़ज़ल मैं रोता भला था, हँसाया मुझे क्यों शरारत है किसकी, ये किसकी दुआ है मुझे यार नफ़रत से डर ना Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 21/10/2022 ग़ज़ल मेरे जिस टुकड़े को दो पल की दूरी बहुत सताती थी जीवन के चौथेपन में अब ,बह सात समन्दर पार Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 11/10/2022 ग़ज़ल दुनिया बालों की हम पर जब से इनायत हो गयी उस रोज से अपनी जख्म खाने की आदत हो गयी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 27/09/2022 ग़ज़ल पाने को आतुर रहतें हैं खोने को तैयार नहीं है जिम्मेदारी ने मुहँ मोड़ा ,सुबिधाओं की जीत हो रही. साझा Read More