गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 19/05/2022 ग़ज़ल कल तलक लगता था हमको शहर ये जाना हुआ इक सख्श अब दीखता नहीं तो शहर ये वीरान है बीती Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 15/05/2022 अब समाचार व्यापार हो गए किसकी बातें सच्ची जानें अब समाचार व्यापार हो गए पैसा जब से हाथ से फिसला दूर नाते रिश्तेदार हो गए Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 20/04/2022 ग़ज़ल नजर फ़ेर ली है खफ़ा हो गया हूँ बिछुड़ कर किसी से जुदा हो गया हूँ मैं किससे करूँ बेबफाई Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 06/04/2022 ग़ज़ल क्या सच्चा है क्या है झूठा अंतर करना नामुमकिन है. हमने खुद को पाया है बस खुदगर्जी के घेरे में Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 16/02/2022 ग़ज़ल नरक की अंतिम जमीं तक गिर चुके हैं आज जो नापने को कह रहे हमसे वो दूरियाँ आकाश की आज Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 12/02/2022 ग़ज़ल जब अपने चेहरे से नकाब हम हटाने लगतें हैं अपने चेहरे को देखकर डर जाने लगते हैं बह हर बात Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 12/02/2022 ग़ज़ल कल तलक लगता था हमको शहर ये जाना हुआ इक शख्श अब दीखता नहीं तो शहर ये बीरान है बीती Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 12/02/2022 ग़ज़ल ये रिश्ते काँच से नाजुक जरा सी चोट पर टूटे बिना रिश्तों के क्या जीवन ,रिश्तों को संभालो तुम जिसे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 30/01/2022 ग़ज़ल बोलेंगे जो भी हमसे वह ,हम ऐतवार कर लेगें जो कुछ भी उनको प्यारा है ,हम उनसे प्यार कर लेगें Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 25/12/2021 ग़ज़ल पाने को आतुर रहतें हैं खोने को तैयार नहीं है जिम्मेदारी ने मुहँ मोड़ा ,सुबिधाओं की जीत हो रही साझा Read More