गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 14/07/2022 ग़ज़ल सपनीली दुनियाँ मेँ यारों सपनें खूब मचलते देखे रंग बदलती दूनियाँ देखी ,खुद को रंग बदलते देखा सुबिधाभोगी को तो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 19/06/2022 ग़ज़ल रिश्ते नाते प्यार वफ़ा से सबको अब इन्कार हुआ बंगला ,गाड़ी ,बैंक तिजोरी इनसे सबको प्यार हुआ जिनकी ज़िम्मेदारी घर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 19/06/2022 ग़ज़ल बोलेंगे जो भी हमसे वह, हम ऐतवार कर लेंगे जो कुछ भी उनको प्यारा है , हम उनसे प्यार कर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 15/06/2022 ग़ज़ल हर सुबह रंगीन अपनी शाम हर मदहोश है वक़्त की रंगीनियों का चल रहा है सिलसिला चार पल की जिंदगी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 19/05/2022 ग़ज़ल कल तलक लगता था हमको शहर ये जाना हुआ इक सख्श अब दीखता नहीं तो शहर ये वीरान है बीती Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 15/05/2022 अब समाचार व्यापार हो गए किसकी बातें सच्ची जानें अब समाचार व्यापार हो गए पैसा जब से हाथ से फिसला दूर नाते रिश्तेदार हो गए Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 20/04/2022 ग़ज़ल नजर फ़ेर ली है खफ़ा हो गया हूँ बिछुड़ कर किसी से जुदा हो गया हूँ मैं किससे करूँ बेबफाई Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 06/04/2022 ग़ज़ल क्या सच्चा है क्या है झूठा अंतर करना नामुमकिन है. हमने खुद को पाया है बस खुदगर्जी के घेरे में Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 16/02/2022 ग़ज़ल नरक की अंतिम जमीं तक गिर चुके हैं आज जो नापने को कह रहे हमसे वो दूरियाँ आकाश की आज Read More
गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 12/02/2022 ग़ज़ल जब अपने चेहरे से नकाब हम हटाने लगतें हैं अपने चेहरे को देखकर डर जाने लगते हैं बह हर बात Read More