मुक्तक
“मुक्तक” हार-जीत के द्वंद में, लड़ते रहे अनेक। किसे मिली जयमाल यह, सबने खोया नेक। बर्छी भाला फेंक दो, विषधर
Read Moreभारतीय परिवेश और भारतीयता अपने दायित्व का निर्वहन करना बखूबी जानती है। जहाँ तक आश्रमों की बात है अनेकों आश्रम
Read More“मुक्त काव्य” जीवन शरण जीवन मरण है अटल सच दिनकर किरण माया भरम तारक मरण वन घूमता स्वर्णिम हिरण मातु
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