कुण्डली/छंद

कुंडलिया

चादर ओढ़े सो रहा, कुदरत का खलिहान।
सूरज चंदा से कहे, ठिठुरा सकल जहान।।
ठिठुरा सकल जहान, गिरी है बर्फ चमन में।
घाटी की पहचान, खलल मत डाल अमन में।।
कह गौतम कविराय, करो ऋतुओं का आदर।
शीत गर्म बरसात, सभी के घर में चादर।।

— महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ