सिंहावलोकनी दोहा
लगता मित्र नाराज है, कहो न मेरा दोष। दोष दाग अच्छे नही, मन में भरते रोष।।-1 रोष विनाशक चीज है,
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Read Moreजीवन शरण जीवन मरण है अटल सच दिनकर किरण माया भरम तारक मरण वन घूमता स्वर्णिम हिरण मातु सीता का
Read More“राधेश्यामी गीत” अब मान और सम्मान बेच, मानव बन रहा निराला है। हर मुख पर खिलती गाली है, मन मोर
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